भारत में jail कैसा होता है |Prison system in India

जेल क्या है ?भारत में jail कैसा होता है

भारत में jail कैसा होता है

Prison system in India


जेल जो होता है वह राज्य सरकार के अधीन कार्य करता है और जेल की जो पुलिस होती है वह नॉर्मल पुलिस से अलग होती है जेल का जो पुलिस विभाग है वह इसका खुदका विभाग होता है जेल में जो भी भाग काम करती है उनकी संख्या कम होती है जेल के अंदर अगर कोई कैदी नया जाता है तो उसे नंबर नहीं दिया जाता है जब कैदी की सजा मुकर्रर की गई होती है तब उसका नंबर बना दिया जाता है अगर कोई व्यक्ति 14 दिन 1 महीने के लिए अंदर जाता है तो उसका नंबर नहीं बनता है।

जेल के अंदर कई बैरक होते हैं क्या हम उसे सेक्शन भी कर सकते हैं या बैरक या सेक्शन कैदियों को चिन्हित कर अलग-अलग रखने के लिए होता है।

जेल में नाश्ते खाने पर प्रत्येक दिन भारत में औसतन एक कैदी पर लगभग ₹52 का खर्च आता है।

जेल में सुबह का नाश्ता लगभग सभी राज्यों में 7:00 बजे सुबह आ जाता है उसमें चाय होनी आवश्यक होती है इसके जगह पर कैदी को कभी चाय बिस्किट ,पौरोटी, चना,ब्रेड , दलिया एवं अन्य चीजें भी दी जाती हैं। तो हम यह मान सकते हैं कि जेल का जो नाश्ता होता है वह ठीक-ठाक ही होता है भारत में।

दोपहर का लंच जेल में कब होता है

दोपहर का लंच जेल में कैदियों को लगभग 11:00 से 12:00 के बीच दिया जाता है जिसमें रोटी चावल दाल सब्जी एवं अन्य सामग्री होती है। जेल में कैदियों को दोपहर में हल्का भोजन कराया जाता है जिसमें की चारों रोटियां थोड़ा सा चावल दाल जो कि अधिक पानी की मात्रा में होती है साथ सब्जी दी जाती है।

जेल में रात का खाना कब और क्या क्या मिलता है

जेल के रात के खाने में दोपहर के खाने के सामान ही होता है परंतु इसमें चावल नहीं दिया जाता है कैदियों को सिर्फ रोटी दाल और सब्जी दी जाती है मतलब हम यह कह सकते हैं कि जेल में जो खाना मिलता है वह हल्का होता है और मसालेदार भी ज्यादा नहीं होता है इसका कारण है कि इस खाने से लोग यानी कैदी बीमार नहीं पड़ते है।

जेल में एक विशेष सुविधा भी होती है यानी हम यह कह सकते हैं कि जेल में एक कैंटीन भी होती है जहां पर कैदी अपने हिसाब से सामग्री खरीद सकते हैं जैसे एक्स्ट्रा खाना खा सकते हैं और कुछ सामग्री भी ले सकते हैं यह सभी जिलों में उपलब्ध नहीं होता है इसके लिए आपको जेलर से अनुमति लेनी पड़ती है।

क्या कैदी बाहर से जेल में खाना मंगवा सकते हैं

अगर कह दी बाहर से खाना मंगवाना चाहते हैं तो सर्वप्रथम उन्हें जेलर के माध्यम से लिखवा कर मंगवाना पड़ता है या कोई कैदी अपने घर से खाना मंगवाना चाहता है तो भी उसे इसी तरह जेलर से अनुमति लेकर मंगवाया जा सकता है और आप देखते होंगे भी कि घर से लोग अपने परिवार जो कि जेल में होते हैं तो उनके लिए खाना लेकर जाते हैं हां इसके लिए जेलर या जेल प्रशासन से अनुमति लेकर भेजा जाता है। हां परंतु यह कैदी को लिमिटेड टाइम ही मंगा सकते हैं यानी वह बार-बार बाहर से खाना नहीं मंगा सकते हैं।

जेल में कैसी करेंसी चलती है

जेल में भारत के आरबीआई वाला रुपया नहीं चलता है वहां रुपए के बदले कूपन दिया जाता है जिससे कि इसका दुरुपयोग वहां ना हो क्या भारत के प्रमुख जिलों में होता है मतलब हम कह सकते हैं कि जेल की अपनी करेंसी होती है जो कि कूपन में 25 10 और ₹20 की होती है यह कूपन एक कैदी ज्यादा से ज्यादा ₹2000 तक का रख सकता है। वहां कैदी के पैसे को कूपन में बदल दिया जाता है।
इस कूपन में कैदियों के नाम से दिया जाता है ताकि इसका दुरुपयोग दूसरे कैदी ना कर सके मतलब कि आप इस कूपन का उपयोग जेल के कैंटीन में कर सकते हैं।
जेल में दो हजार से ज्यादा का नगद राशि या कूपन नहीं रख सकते हैं अगर कोई कैदी ज्यादा रखता है तो उसे जप्त कर लिया जाता है। साथ ही साथ कैदी की सजा बढ़ा दी जा सकती है ऐसा करने पर।

परंतु भारत में बहुत सारे ऐसे कैदी हैं जो अपनी व्यवहारिकता के कारण अंदर ही अंदर सेटिंग किए रहते हैं और उसका दुरुपयोग करते रहते हैं जिस चीज का जेल परिसर में अलाउड नहीं होता है उस चीज का उपयोग भी करते हैं जो कि एक अपराध है।

जेल के कैदी से उनके परिजन या दोस्तों को मिलने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है

जेल में अगर कोई व्यक्ति या कैदी के परिवार कैदी से मिलने जाता है तो उसे मिल सकते हैं इसके लिए कुछ नियम एवं शर्तें होती हैं उस में मिलने वाले को कैदी का नाम उनके पिताजी का नाम कैदी किस जेल नंबर में है यह सब लिखना पड़ता है।
मिलने के दौरान कैदी से मिलने वाले लोग खाने-पीने की चीजें कैदी को दे सकते हैं परंतु उसे वहां पर उपलब्ध प्रशासन को जांच करने के उपरांत।
अगर कुछ जांच के उपरांत पकड़ा जाता है तो उसे वह प्रशासन जप्त कर कैदी की सजा भी बढ़ा सकते हैं क्योंकि यह एक बड़ा अपराध है। कैदी से मिलने का समय 10:00 बजे से 3:00 बजे तक होता है 3:00 बजे के बाद या फिर 10:00 बजे से पहले अगर कोई व्यक्ति कैदी से मिलने जाता है तो उसे मिलने नहीं दिया जाता है। कैदी से मिलने के लिए कुछ समय सीमा भी निर्धारित है एक कैदी के लिए सप्ताह में एक से तीन मुलाकात ही हो सकता है यानी आप जब कोई कैदी से मिलने जाएंगे तो ऐसा नहीं कि आप महीने में 10 बार 20 बार चले जाएंगे इसके लिए भी नियम है कि एक कैदी से 1 सप्ताह में तीन बार ही मिल सकते हैं कहीं-कहीं जेलों में 1 सप्ताह में एक या फिर दो बार ही मिल सकते हैं। मिलने के लिए 15 से ₹20 का एक रसीद भी मिलता है जो कि मिलने वाले व्यक्ति को पहले ऑनलाइन या ऑफलाइन कटवाना होता है तब जाकर के कैदी से मिल सकते हैं या फिर हम यह कह सकते हैं कि पहले आपको कैदी से मिलने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।

क्या जेल के अंदर पढ़ाई की सुविधा होती है

जी हां यह आपके मन में विचार आया होगा कि क्या जेल के अंदर पढ़ाई की सुविधा होती है तो हां बिल्कुल होती है जेल के अंदर एक पढ़ाई के लिए लाइब्रेरी उपलब्ध होती है आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि आपके घर में भी ऐसी लाइब्रेरी उपलब्ध नहीं होगी जो कि जेल में होती है भारत के सभी जेलों में कुछ अच्छे और कुछ छोटे लाइब्रेरी हो सकते हैं। आप जेल के अंदर अगर जाते हैं और पढ़ाई करना चाहते हैं तो यह सुविधा भी उपलब्ध होती है आप वहां जाकर पढ़ाई भी कर सकते हैं कौन इग्नू यूनिवर्सिटी से एग्जामिनेशन भी लिख सकते हैं जिससे आपको पढ़ाई या डिग्री की सर्टिफिकेट भी उपलब्ध कराई जाएगी।
अब आप सोच रहे होंगे कि कैदी जब बाहर रहकर के नहीं पढ़ाई कर रहे होते हैं तो अंदर क्या पड़ेंगे परंतु जेल में बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो वहां जाकर डिग्री प्राप्त करते हैं ऐसे कई जिलों में देखा गया है।

क्या जेल के अंदर कैदी काम करते हैं?

जेल में अंदर कैदी काम करते

जी हां आपके मन में यह भी सवाल आया होगा कि क्या जेल में अंदर कैदी काम करते हैं तो हां या बिल्कुल करते हैं क्योंकि जेल में कैदी के अलावा अंदर ज्यादा प्रशासन नहीं होते परंतु बाहर में पुलिस प्रशासन की संख्या ज्यादा होती है इसी कारण से अंदर का सारा कार्य कैदियों से ही कराया जाता है जेल के अंदर मालिक का काम होता है खेती का कार्य भी होता है खाना बनाने का भी काम होता है साफ-सफाई यों का काम होता है टेलरिंग का काम होता है एवं अन्य कार्य भी होते हैं इसके साथ-साथ कई जिलों में तो फैक्ट्रियां भी होती है जहां सोफा एवं अन्य चीजों का निर्माण किया जाता है फैक्ट्री का काम सिर्फ उसे ही दिया जा सकता है जिसे कोर्ट ने सजा सुना दिया है।। अगर किसी कैदी का सजा मुकर्रर नहीं किया गया है तो उन्हीं छोटे-छोटे काम सौपे जाते हैं। अगर कोई कैदी जेल में कार्य करता है तो उसे दिन का ₹20 यानी ₹600 प्रति माह दिया जाता है।
अगर कोई कैदी जेल में काम नहीं करना चाहता है तो इसके लिए जेलर को पैसा देना पड़ता है जिसे हाता भी कहते हैं या एक बार ही देना पड़ता है बार बार नहीं लगता है। जेल में अगर काम करते हैं तो कह दी को खाना भी अच्छा और पूरा रूप से दिया जाता है और उनका विशेष ध्यान भी रखा जाता है।

तो यह थी जेल के बारे में जानकारी यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें अवश्य बताएं और अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी तो इसे अपने परिवार दोस्तों एवं अन्य को साझा करें साथी साथ इसे फेसबुक व्हाट्सएप एवं अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर करें धन्यवाद।

written by – सुधीर कुमार , चतरा झारखंड

सुधीर इस हिंदी ब्लॉग के Founder हैं. वो एक Professional Blogger हैं जो इतिहास Technology, Internet ,समाचार से जुड़ी विषय में रुचि रखते है. सुधीर वेबसाइट होस्टिंग भी प्रदान करते है. वो पेसे से पत्रकार भी है, उन्हें किसी भी विषय पर रिसर्च करना अच्छा लगता है.

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