छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंधित प्रसिद्ध किले कौन-कौन से हैं

छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंधित प्रसिद्ध किले कौन-कौन से हैं.

भारतवर्ष के प्रत्येक बच्चे तक को ज्ञात है कि छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य की पताका फहराने वाले एक कुशल शासक थे। दोस्तों आज हम छत्रपति शिवाजी महाराज के 8 किलो के बारे में संपूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगे। जहां से शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य को आगे बढ़ाया था। तो चलिए जानते हैं शिवाजी महाराज के वे 8 किले कौन-कौन से हैं.Raigad Fort,Shivneri Fort,Purandar Fort,Sindhudurg fort ,Suvarnadurg Fort ,Lohgad Fort ,Arnala Fort ,Pratapgad Fort

शिवाजी महाराज से संबंधित 8 किलो के नाम

  • ▪️ रायगढ़ का किला (Raigad Fort)
  • ▪️ शिवनेरी किला (Shivneri Fort)
  • ▪️ पुरंदर का किला (Purandar Fort)
  • ▪️ सिंधुदुर्ग का किला (Sindhudurg Fort)
  • ▪️ सुवर्णदुर्ग का किला (Suvarnadurg Fort)
  • ▪️ लोहगढ़ दुर्ग का किला (Lohgad Fort)
  • ▪️ अरनाला का किला (Arnala Fort)
  • ▪️ प्रतापगढ़ किला (Pratapgad Fort)

मित्रों यह थी छत्रपति शिवाजी महाराज के वह 7 प्रमुख किले के नाम आइए संक्षिप्त में जानते हैं इन किलों के बारे में

रायगढ़ का किला (Raigad Fort)

रायगढ़ का किला (Raigad Fort)
रायगढ़ का किला (Raigad Fort)


रायगढ़ का किला (Raigad Fort) :रायगढ़ का किला (Raigad Fort) को छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी कहते हैं । भारत में मौजूद कई किलो के बारे में आपने सुना होगा या फिर उसे प्रत्यक्ष रूप से देखा होगा। भारत के प्रत्येक किले अपने आप में इतिहास समेटे हुए हैं एक ऐसा इतिहास जो सदियों से उनकी लोग की तरह एकदम जीवंत है।
रायगढ़ का किला भले ही सदियों पहले अस्तित्व में आया है परंतु आज भी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। रायगढ़ किले को ‘हिल फोर्ट’ (Hil Fort)के नाम से भी जाना जाता है। रायगढ़ किले (Raigad Fort) का निर्माण कब हुआ यह तो बताना थोड़ा कठिन है परंतु अनुमान लगाया जाता है कि यह किला 10 वीं शताब्दी के आसपास चंद्र राव मोरे के द्वारा 1034 ईस्वी में बनाया गया था। सन 1656 ईसवी के आसपास मराठा साम्राज्य के राजाधिराज शिवाजी महाराज ने इस किले पर अपना कब्जा जमाया और फिर इसमें कुछ सुधार कर पुनर्निर्माण करवाया। इसका नाम बदलकर रायगढ़ का किला रख दिया। उन्होंने सन 1674 ईस्वी में इसे अपने राज्य का राजधानी तक बना दिया। दुर्भाग्यवश 1689 ईस्वी के दौरान मराठों ने इस किले को खो दिया और मुगलों ने इस किले पर अपना वर्चस्व बना लिया। मुगलों ने भी इस किले का नामकरण इस्लाम गढ़ का किला कर दिया। मुगलों के बाद 1765 ईस्वी में इस किले पर ब्रिटिश शासकों की नजर पड़ी उसकी सुंदरता देख वे आश्चर्य हो गए। 1818 ईस्वी में इस किले पर ब्रिटिश शासन का आधिपत्य हो गया। इस किले की सबसे ऊंची चोटी जमीन से करीब 600 फुट ऊंचाई पर है जहां जाना संभव नहीं इसके लिए एक खास रास्ता बनाया गया है जो कि इसके विशाल दरवाजे से होकर जाता है।
रायगढ़ का किला की खास जगहों की बात करें तो उनमें प्रमुख जगहों के नाम हिरकणी बुर्ज और टकमक टोक शामिल है ।

शिवनेरी किला (Shivneri Fort)

शिवनेरी किला (Shivneri Fort)
शिवनेरी किला (Shivneri Fort)


शिवनेरी किला (Shivneri Fort) : छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म इसी किले में हुआ था शिवनेरी किला (Shivneri Fort) महाराष्ट्र के पुणे के पास एक जुन्नर गांव में स्थित है इस किले के अंदर माता शिवाई का एक मंदिर है। इसी मंदिर के नाम से शिवाजी का नाम रखा गया था । इस किले में मीठे पानी के दो स्त्रोत हैं, जिसे सभी गंगा जमुना के नाम से भी जानते हैं । लोगों का मानना है कि इनसे सालों भर पानी निकलता रहता है। इस किले के चारों ओर गहरी खाई है। जिससे इसकी सुरक्षा मजबूत होती थी। इस किले में ऐसी कई गुफाएं हैं जो अब भी बंद है लोग कहते हैं कि शिवाजी महाराज की ट्रेनिंग इन्हीं गुफाओं में हुई थी।

पुरंदर का किला (Purandar Fort)

पुरंदर का किला (Purandar Fort)
पुरंदर का किला (Purandar Fort)


पुरंदर का किला (Purandar Fort) : पुरंदर का किला (Purandar Fort) पुणे से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर सासवाद गांव में स्थित है। इसी किले में दूसरे छत्रपति संभाजी राजे भोसले का जन्म हुआ था। संभाजी शिवाजी महाराज के पुत्र थे और इसी किले से शिवाजी महाराज की पहली जीत भी हुई थी। मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1665 ईस्वी में इस किले पर कब्जा कर लिया था। जिसे शिवाजी ने केवल 5 वर्षों के बाद मुगलों से छुड़ा लिया और मराठा ध्वज फहरा दिया था। इस किले में एक सुरंग का रास्ता है जो किले से बाहर की ओर ले जाता है इस सुरंग का उपयोग युद्ध के समय शिवाजी महाराज बाहर जाने के लिए किया करते थे।

सिंधुदुर्ग का किला (Sindhudurg fort)

सिंधुदुर्ग का किला (Sindhudurg fort)
सिंधुदुर्ग का किला (Sindhudurg fort)


सिंधुदुर्ग का किला (Sindhudurg fort) : सिंधुदुर्ग का किला (Sindhudurg fort) का निर्माण कोंकण तट पर कराया गया था। इसका निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज ने किया था। यह मुंबई से 450 किलोमीटर दूर सिंधुदुर्ग (Sindhudurg) में स्थित है। इस किले को बनने में लगभग 3 वर्षों का समय लगा था। यह लगभग 48 एकड़ में फैला हुआ है। कहा जाता है कि इसकी दीवारों को दुश्मन से दूर रखने के लिए समुंदर की लहरों को देखते हुए निर्माण कार्य किया गया था।

सुवर्णदुर्ग का किला (Suvarnadurg Fort)

सुवर्णदुर्ग का किला (Suvarnadurg Fort)
सुवर्णदुर्ग का किला (Suvarnadurg Fort)


सुवर्णदुर्ग का किला (Suvarnadurg Fort) : सुवर्णदुर्ग का किला (Suvarnadurg Fort) को हम गोल्डन फोर्ट (Golden Fort) के नाम से भी जानते हैं शिवाजी ने इस किले पर 1660 ईस्वी में कब्जा किया था उन्होंने अली आदिल शाह द्वितीय को मराठा साम्राज्य में मिला दिया था। समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए इस किले पर कब्जा किया गया था । अरब सागर के पास महाराष्ट्र के रत्नागिरी में यह किला आता है। इस किले में शिवाजी के बाद के राजाओं ने मराठा नेवी भी बनाई थी । इस किले के जरिए मराठाओ ने कई समुद्री आक्रमणों को रोका था।

लोहगढ़दुर्ग का किला (Lohgad Fort)

लोहगढ़दुर्ग का किला (Lohgad Fort)
लोहगढ़दुर्ग का किला (Lohgad Fort)


लोहगढ़दुर्ग का किला (Lohgad Fort) : लोहगढ़दुर्ग (Lohgad Fort) में मराठा साम्राज्य की संपत्तियों को रखा जाता था। यह पुणे से 52 किलोमीटर दूर लोनावाला स्थित है । लोगों का मानना है कि सूरत से लूटी गई धन संपत्तियों को भी यहां रखा गया था। मराठा के पेशवा नाना फडणवीस लंबे समय तक लोहगढ़दुर्ग को अपना निवास स्थान बनाये था।

अरनाला का किला (Arnala Fort)

अरनाला का किला (Arnala Fort)
अरनाला का किला (Arnala Fort)


अरनाला का किला (Arnala Fort) : अरनाला का किला (Arnala Fort) महाराष्ट्र के वसई गांव में स्थित है मुंबई से 48 किलोमीटर की दूरी पर है 1739 ईस्वी में मराठा शासक पेशवा बाजीराव के भाई चिमाजी अप्पा ने इस पर कब्जा कर लिया था । परंतु इस युद्ध में बहुत सारे मराठा योद्धा शहीद हो गए थे। 1802 ईस्वी में पेशवा बाजीराव द्वितीय ने वसई संधि कर ली । इसके बाद अर्नाला का किला अंग्रेजों के स्वामित्व में आ गया। इस किले से गुजरात के सुल्तान, पुर्तगाली,अंग्रेज और मराठों ने शासन किया है। यह किला तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ था।

प्रतापगढ़ किला (Pratapgad Fort)

प्रतापगढ़ किला (Pratapgad Fort)
प्रतापगढ़ किला (Pratapgad Fort)


प्रतापगढ़ किला :प्रतापगढ़ का किला महाराष्ट्र के सतारा में स्थित है। जो छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्य की कहानी को बताता है। इस किले को प्रतापगढ़ में हुए युद्ध से भी जाना जाता है। शिवाजी ने नीरा और कोयना नदियों के तटों और दर्रे की सुरक्षा के लिए इस किले को बनाया था। इस किले से 10 नवंबर 1665 ईस्वी को छत्रपति शिवाजी महाराज और अफजल खान के बीच युद्ध हुआ था। जिसमें शिवाजी महाराज की जीत हुई थी। प्रतापगढ़ किला इस जीत को मराठा साम्राज्य की नीव भी माना जाता हैं।

मित्रों तो यह थी छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंधित वे 8 किले रायगढ़ का किला (Raigad Fort),शिवनेरी किला (Shivneri Fort),पुरंदर का किला (Purandar Fort),सिंधुदुर्ग का किला (Sindhudurg fort) ,सुवर्णदुर्ग का किला (Suvarnadurg Fort),लोहागढ़ दुर्ग का किला (Lohgad Fort) ,अरनाला का किला (Arnala Fort) ,प्रतापगढ़ का किला (Pratapgad Fort) जिसकी शौर्य गाथा आज भी देखने को मिलती है तो यह जानकारी आप सभी को कैसी लगी । हमें कमेंट कर अवश्य बताएं और हां साथ ही साथ अगर यह शौर्य की गाथा आपको अच्छी लगी हो तो अपने फेसबुक व्हाट्सएप एवं अन्य माध्यमों से इसे ज्यादा से ज्यादा साझा करें । इससे हमारा मनोबल बढ़ता है और हम आपके लिए अच्छे से अच्छे लेख लिखने का प्रयास करते हैं।

सुधीर इस हिंदी ब्लॉग के Founder हैं. वो एक Professional Blogger हैं जो इतिहास Technology, Internet ,समाचार से जुड़ी विषय में रुचि रखते है. सुधीर वेबसाइट होस्टिंग भी प्रदान करते है. वो पेसे से पत्रकार भी है, उन्हें किसी भी विषय पर रिसर्च करना अच्छा लगता है.

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