इतिहास के पन्नों के 5 सबसे खूंखार डाकू | Top 5 robber of History

Robber, डाकू मानसिंह, सुल्ताना डाकू, वीरप्पन, फूलन देवी
Robber photo

डाकू (Robber) नाम सुनते ही हमारे मन में एक काला टीका हाथ में बंदूक और सर पर पगड़ी पहने एक डरावनी शक्ल जहन में आ जाती है ।कोई समय था जब भारत में चंबल घाटी को डाकुओं का गढ़ माना जाता था। यह हिंदुस्तान का वह दौर था, जब चप्पे-चप्पे पर डाकू की दहशत हुआ करती थी। जिनके नाम सुनकर अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाए करते थे। आज हम अपने इस पोस्ट के माध्यम से आपको हम इतिहास के सबसे खूंखार डाकूओ के बारे में बताने वाले है। आइए जानते हैं कुछ इतिहास के डाकुओं जैसे डाकू मानसिंह, सुल्ताना डाकू,निर्भय सिंह गुर्जर, वीरप्पन, फूलन देवी के बारे में

डाकू मानसिंह (Robber Maan Singh)

डाकू मानसिंह चंबल की सबसे कुख्यात डाकू में पहला नाम आता है । डाकू मान सिंह का साल 1940 में चंबल की रेतीली घाटी में डाकू मानसिंह का घर था। उस जमाने में अंग्रेज सरकार से लेकर राजे रजवाड़े तक सभी पर डाकू मानसिंह का डर था। मानसिंह आगरा के राजपूत थे, जिन्होंने चंबल के गढ़ राठौड़ में अपना कब्जा जमाया। डकैत मानसिंह पर 1112 लूट और 125 हत्या के मामले दर्ज थे। लेकिन वह गरीब और सताए हुए लोगों में काफी मशहूर थे साथ ही सरकार पर अपना पूरा रोड भी रखते थे। वह अमीर सेठऔर नेताओं को लूट कर गरीबों में बांट दिया करते थे। मानसिंह के कहर से लोगों को छुटकारा दिलवाने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस ने 1955 में राज्य के भिंड जिले में उसका एनकाउंटर कर दिया ।

सुल्ताना डाकू (Sultana Robber)

सुल्ताना डाकू के नाम से कुख्यात सुल्तान सिंह का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के बिजनौर मुरादाबाद इलाके में रहने वाले घुमंतू और बंजर बातू समुदाय से था। अपने आप को मेवाड़ के राजपूत राजा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी का वंशज मानते थे। सुल्तानाब डाकू कहा करता था कि जब बादशाह अकबर की सेना हल्दीघाटी के मैदान में पहुंची। तब महाराणा हुकुम ने बंजार बातू समुदाय को बोला कि संकट की इस घड़ी में मैं अपने बच्चों के प्राण संकट में नहीं डाल सकता।अतः आप सभी युद्ध तक कहि दूर चले जाओ। महाराणा के आदेश के बाद बातू समुदाय के लोग भागकर देश के अलग-अलग कोनों में बस गए। अंग्रेज सरकार ने बातू समुदाय को अपराधी घोषित किया हुआ था, और वह उनकी हर गतिविधियों पर नजर बनाए रखती थी। किस जाति डर ईतना था, कि यह राह चलते लोगों को गयाब कर दिया करते थे। एक रिपोर्ट में सुल्ताना ने दावा किया कि जब मेरे राजा महाराणा प्रताप कभी किसी से नहीं डरे तो उनका पुत्र क्यों डरें। अंग्रेज अधिकारियों ने यहां बात पूरी तरह से खारिज की कि वह महाराणा प्रताप के वंशज थे। उन्होंने लिखा कि कहा महाराणा प्रताप इतने लंबे चौड़े कद काठी वाले दिलेर और कहां सुल्ताना डाकू कुठा सा दिखने वाला। सुल्ताना डाकू का अपने जमाने में उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में रुतबा था। वह अमीरों की तिजोरीयों को खाली करता और गरीबों में बांट दिया करता था ।उसने कभी किसी की हत्या नहीं कि आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सुल्ताना डकैती से पहले सामने वाले परिवार को एक चिट्ठी लिखा करता था। सन 1924 सुल्ताना को फांसी पर लटका दिया गया।

डाकू निर्भय सिंह गुर्जर (Nirbhay Singh Gurjar)

निर्भय सिंह गुर्जर चंबल घाटी के आखरी डाकुओं में से एक हैं। निर्भय सिंह गुर्जर के पास एक डाकुओं की बड़ी सेना हुआ करती थी। उसकी सेना में लगभग 50 से 150 लोग थे। सब ताकतवर और एक से बढ़कर एक खूंखार थे। निर्भय सिंह गुर्जर के सभी डाकुओं के पास नाइट विजन दूरबीन, एके-47 बंदूक और मोबाइल थे। इटावा के बिठौली गांव के रहने वाले निर्भय सिंह गुर्जर ने डेढ़ दशक तक लोगों पर राज किया। निर्भय की गुज्जर गैंग पर हत्या लूट और अपहरण के कई सारे मामले दर्ज थे। यहां तक कि निर्भय के सर पर सरकार ने 500000 का इनाम भी रखा। निर्भय का आतंक 200 गांव में था। इलाके में उसका इतना खौफ था कि उसके नाम से सरपंच विधायक और सांसद चुने जाते थे। आखिरकार साल 2005 में पुलिस की गोली द्वारा निर्भय सिंह की मौत हो गई।

डाकू वीरप्पन (Veerappan)

वीरप्पन साउथ इंडिया का डाकू था। मात्र 18 साल की उम्र में वीरप्पन शिकार करने वाले गिरोह में शामिल हो चुका था। डाकू वीरप्पन केरल तमिलनाडु के जंगलों में काफी समय तक छुपा रहा। कहा जाता है कि उसने तमिलनाडु कर्नाटक और केरल के जंगलों में 900 से अधिक हाथियों को मार डाला। ऐसा भी कहा जाता है कि वीरप्पन के पास सैकड़ो डकैतों की फौज थी। जिनके सहारे वह इतने लंबे समय तक भारतीय सेना से बजा रहा। वीरप्पन को पकड़ने के लिए सरकार ने ₹200000000 खर्च किए। अंततः 18 अक्टूबर 2004 वीरप्पन का एनकाउंटर कर दिया गया । पुलिस ने वीरप्पन के सर में गोली मारकर एनकाउंटर किया था।

डाकू फूलन देवी (Robber Fulan Devi)

किसी जमाने में दहशत का दूसरा नाम फूलन देवी (Fulan Devi) था। कम उम्र में शादी फिर गैंगरेप और बाद में इंदिरा गांधी के कहने पर उन्होंने सरेंडर कर दिया। फूलन देवी सताई हुई औरतों में से थी जिनको हालातों ने हथियार उठाने पर मजबूर कर दिया। जुर्म की दुनिया में फूलन देवी (Fulan Devi )ने कुछ ही महीनों में अपने नाम की दहशत कायम कर दी थी। चंबल की घाटी फूलन देवी के दहशत से गूंजती थी। फूलन देवी ने कई सारी डकैतियां कि परंतु कभी किसी मजलूम गरीब को नहीं सताया। उन्होंने 1983 में इंदिरा गांधी के कहने पर सरेंडर किया। उसके बाद उन्हें 11 साल तक जेल में बिना मुकदमा चलाए रहना पड़ा।

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F&Q

डाकू मानसिंह का जन्म कब हुआ था ?

डाकू मान सिंह का साल 1940 में चंबल की रेतीली घाटी में डाकू मानसिंह का घर था।

डाकु मान सिंह पर कितने अपराधिक मामले दर्ज थे?

डकैत मानसिंह पर 1112 लूट और 125 हत्या के मामले दर्ज थे।

डाकु मान सिंह कब मारा गया?

मध्य प्रदेश पुलिस ने 1955 में राज्य के भिंड जिले में उसका एनकाउंटर कर दिया ।

सुल्ताना डाकू ने कितने हत्याएं की थी?

सुल्ताना डाकू ने एक भी हत्या नही की थी ।

डाकू सुल्ताना फिल्म की रेटिंग देख सकते हैं .

सुधीर इस हिंदी ब्लॉग के Founder हैं. वो एक Professional Blogger हैं जो इतिहास Technology, Internet ,समाचार से जुड़ी विषय में रुचि रखते है. सुधीर वेबसाइट होस्टिंग भी प्रदान करते है. वो पेसे से पत्रकार भी है, उन्हें किसी भी विषय पर रिसर्च करना अच्छा लगता है.

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