तुझसे बिछुड़ क्यों आया – हिंदी भजन

तुझसे बिछुड़ क्यों आया – हिंदी भजन- नीलकंठ कैलाशपति

तुझसे बिछुड़ क्यों आया

नीलकंठ कैलाशपति
हे दीनों के नाथ !
शीश विराजे चंद्रमा
वामांगे सजती मात
नन्दीश्वर कृपा करो
मेरी बिगड़ी तुमरे हाथ

नन्दीश्वर कृपा करो !

दिवस के पीछे रैना चलती
रैना पीछे दिवस बावरा
उदयाचल से अस्ताचल तक
नित खेल देखती यह धरा

मेरे जीवन में हे प्रभु
इतनी लम्बी रात

नन्दीश्वर कृपा करो !

सांझ को पंछी वापस लौटें
घर अपने को आ रहे
सुबह के बिछुड़े पेड़ों के संग
गीत मिलन के गा रहे

मैं बिछुड़ा ऐसा अपनों से
ज्यों शाखा से पात

नन्दीश्वर कृपा करो !

बहती गाती नदिया सजनी
ज्यों पीहर से आ रही
न रुकती न टिकती पल-छिन
पी के अंक समा रही

मेरे मन का मीत न मिलता
खोजत हूं दिन-रात

नन्दीश्वर कृपा करो !

संग मेरे आकाश भी रोया
रोया पूरी रात
मन मेरा भी भीज गया
भीजे सब पेड़ों के पात

कैसा गीत मैं कैसे गाऊं
उठ जाएं तेरे हाथ

नन्दीश्वर कृपा करो !

न मैं चाहूं महल अटारी
न धन-दौलत न माया
मन में पीर बसी है मेरे
तुझसे बिछुड़ क्यों आया

अब जीना मोहे नाहीं सुहाए
मोहे राखो निज चरणों के पास

नन्दीश्वर कृपा करो !

नीलकंठ कैलाशपति

#नीलकंठ कैलाशपति

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सुधीर इस हिंदी ब्लॉग के Founder हैं. वो एक Professional Blogger हैं जो इतिहास Technology, Internet ,समाचार से जुड़ी विषय में रुचि रखते है. सुधीर वेबसाइट होस्टिंग भी प्रदान करते है. वो पेसे से पत्रकार भी है, उन्हें किसी भी विषय पर रिसर्च करना अच्छा लगता है.

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