श्री कृष्ण जन्माष्टमी नाम से ही पता चल रहा है कि भगवान श्री कृष्ण की आराधना की शुरुआत श्री कृष्ण जन्माष्टमी से होती है यह भारत में ही नहीं अपितु भारत के अलावा बहुत सारे देशों में यानी विदेशों में भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है . दही हांडी उत्सव का आयोजन भी आकर्षण का केंद्र है .
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2022
धरती पर आए कृष्ण कन्हैया
किया जगत का उद्धार
ऐसी अलौकिक रची लीलाएं
भक्त करते नमन बारम्बार
जैसे ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी आता है लोग बड़े उत्साहित हो जाते हैं आज हम आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2021 में कब है इसके बारे में जानकारी देने वाले आप हमारे पोस्ट के साथ बने रहे हम आपको जन्माष्टमी से संबंधित बहुत सारे विषयों पर चर्चा करेंगे
श्री कृष्ण जन्माष्टमी को हम गोकुलाष्टमी के नाम से भी जानते हैं यह श्रावण मास की पूर्णिमा के बाद आठवें दिन मनाई जाती है श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2022 में 18 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा . इस त्यौहार को लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं इसे हम श्री कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में भी जानते हैं.
कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं के कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा के बाद आठवें दिन बड़े धूमधाम से मनाई जाती है . हम दूसरी भाषा में अगर समझना चाहते हैं तो जब हम सभी भाई बहनों का सबसे बड़ा त्यौहार यानी रक्षाबंधन होता है ठीक उसके आठवें दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हम मनाते हैं.
2022 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है
जैसा कि हम सभी को पता है कि कृष्ण जन्माष्टमी प्रत्येक वर्ष अगस्त से सितंबर महीने में ही आता है हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022 को पूरे भारत सहित विदेशों में भी मनाया जाएगा. और दही हांडी या गोकुल अष्टमी की बात करें तो यह 18-19 अगस्त को है.
इसलिए पूरे भारत में भगवान श्री कृष्ण के भक्त उनके जन्मोत्सव के दिन उनके भक्ति में लीन रहेंगे और उनकी कृपा दृष्टि हम सभी भक्तों पर बनी रहे, इसी के साथ यह उत्सव बड़े जोर से मनाया जाएगा .
जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त की बात करें तो पूजा का समय12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट उपयुक्त है
कृष्ण जन्माष्टमी की कथा
भगवान श्री कृष्ण के बारे में आप सभी जानते ही होंगे कि वह श्री कृष्ण वासुदेव तथा देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिए थे. परंतु श्री कृष्ण के जन्म के पश्चात वासुदेव जी ने उनकी रक्षा हेतु कंस से छुपा कर उन्हें अपने मित्र नंद बाबा के घर छोड़ आए थे.
इसीलिए भगवान श्री कृष्ण का लालन पोषण नंद बाबा तथा यशोदा मैया के माध्यम से हुआ उनका सारा बचपन गोकुल में बीता. कृष्णा ने अपने बचपन की लीलाएं गोकुल में ही रचाई. जब भगवान बड़े हुए तो उन्होंने अपने मामा कंस का वध किया.
हम सभी को पता है कि भगवान श्री कृष्ण जी विष्णु जी के अवतार हैं . जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत एक विभिन्नता में एकता वाला देश है इसी का उदाहरण है कि श्री जन्माष्टमी को कई नामों से हम जानते हैं उदाहरण के तौर पर आप इस बिंदुओं को देखकर जान सकते हैं : –
- अष्टमी रोहिणी
- श्री जयंती
- कृष्ण जयंती
- रोहिणी अष्टमी
- कृष्णाष्टमी
- गोकुलाष्टमी
कृष्ण जन्माष्टमी भारत में कैसे मनाया जाता है
भारत ही नहीं अपितु भारत से बाहर विदेशों में भी और जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है साथ ही साथ हमें समाचार पत्रों के माध्यम से या न्यूज़ चैनलों के माध्यम से हमें जन्माष्टमी त्योहार के ऊपर अनेकों जानकारियां हमें मिलती है जैसा कि हम जानते हैं गोकुल मथुरा वृंदावन श्री कृष्ण जी के लीलाओं के प्रमुख स्थान हैं.
इसलिए इस त्यौहार के दिन यहां पर विशेष रूप से उल्लास के साथ लोग भगवान श्री कृष्ण के जन्माष्टमी को बड़े धूमधाम से मनाते हैं . वहां के आसपास के मंदिरों में अर्चना मंत्रोचार सत्संग जयकारा और उनकी सजावट देखने लायक होती है. और श्रद्धालुओं के मन में यह भाव होता है कि भगवान के जन्मदिन के अवसर पर उनका दर्शन हो जाए तो हमारा कल्याण हो जाएगा.
जन्माष्टमी दही हांडी उत्सव
जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर कई स्थानों पर दही हांडी का विशेष उत्सव मनाया जाता है हम कई स्थानों पर यह देखते हैं कि दही हांडी का उत्सव के माध्यम से वहां के लोकल लोग बड़े उत्साह के साथ प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं इस प्रतियोगिता में इनाम की राशि भी रखी जाती है जो इसका प्रमुख केंद्र भी है.
जिसके कारण जो दूर दूर से मंडलियों में लोग पहुंचते हैं दही हांडी उत्सव का खेल खेलने की हेतु उसे और भी उत्साह बढ़ जाता है. और खेल में रोमांच देखने को मिलता है.
दही हांडीका उत्सव मनाने के लिए कई युवाओं की टोली कई हफ्तों से लगातार काम पर या हम कहें इसकी तैयारी कर रहे होते हैं. और उनके मन में यह भाव आता है कि हमारे श्री कृष्ण लला का जन्म दिवस जल्द से जल्द आ जाए और हम इस खेल का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाएं .
हम उस दिन यह भी देखते हैं कि जो मंडलियों के लड़के मटकी फोड़ने आते हैं एक के ऊपर एक चढ़कर इस दही हंडी का खेल खेलते हैं.
यानी हम यह कह सकते हैं कि जो लड़के ऊपर चढ़कर मटकी यानी हांडी को छोड़ता है वह मंडली विजय घोषित होता है और उसे इनाम की राशि स्वरूप दी जाती है . खेल के दौरान मंडलियों पर पानी एवं मटका को हिलाना इस प्रकार की गतिविधियां शामिल होती हैं .
महाराष्ट्र के मुंबई तथा पुणे में जन्माष्टमी पर विशेष दही हांडी का आयोजन होता है जो पूरे भारत में मशहूर है. लोगों का मानना है कि गुजरात में द्वारका कहे जाने वाले राज्य की स्थापना स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने किया था .
इस द्वारका की नगरी में जब जन्माष्टमी का उत्सव आता है तो वहां के मशहूर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है साथ ही साथ लोग भगवान के दर्शन हेतु दूर-दूर से आते हैं. जन्माष्टमी के दिन जम्मू में पतंग उड़ाने का रिवाज है.
हम उड़ीसा पुरी तथा बंगाल की बात करें तो इस दिन रात्रि में पूजा अर्चना बड़े धूमधाम से की जाती है साथ ही साथ दूसरे दिन नंद उत्सव के रूप में यह त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन श्रद्धालु नाच गान कीर्तन एवं भगवान के मंत्रों का उच्चारण करते हैं. नंद उत्सव के दिन भारत के लोग तरह तरह के पकवान भी बनाया करते हैं,तथा अपना उपवास इसी पकवान के माध्यम से तोड़ते हैं.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी को भारत के दक्षिण भाग में गोकुलाष्टमी के नाम से जाना जाता है. वहां भी भगवान श्री कृष्ण के भजन कीर्तन एवं पूजा अर्चना की जाती है हां आप जानते हैं कि भारतवर्ष में पूजा अर्चना की अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग विधियां परंतु इन विभिन्नताओं के बाद भी पूरे भारतवर्ष में भगवान श्री कृष्ण का जन्म के अवसर पर लोग बड़े उत्साह से भजन कीर्तन मंदिरों में विशेष पूजन का कार्यक्रम का आयोजन करते हैं.
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