माँ हिंदी की लाज -Maa Hindi Ki laaj हिंदी दिवस मना रहे छेड़कर लंबी तानमैं मूरख समझा किया माँ का यह अपमान बीती रात तमसभरी दिन आया घनघोरनिजगौरव को (0 टिप्पणियाँ)
लेखक: सुधीर कुमारश्रेणी: कविताएँ
माँ हिंदी की लाज -Maa Hindi Ki laaj हिंदी दिवस मना रहे छेड़कर लंबी तानमैं मूरख समझा किया माँ का यह अपमान बीती रात तमसभरी दिन आया घनघोरनिजगौरव को (0 टिप्पणियाँ)