भारतीय युवा indian Youth politics

indian Youth politics – हमारा देश विश्व का सबसे युवा देश है और देश या व्यक्ति के निर्माण का स्वर्णिम काल “युवा काल “होता है. अभी इसका सौभाग्य भारत के पास है.

स्वर्णिम काल का अर्थ क्या है

स्वर्णिम काल का अर्थ है कि इस काल में शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत व्यवस्था उत्तम उत्तर का हो साथ ही साथ भ्रष्टाचार से मुक्त हमारा समाज हो इस स्वर्णिम काल में किसी को भी भूखे पेट ना सोना पड़े ना ही कोई व्यक्ति इलाज के अभाव में मृत्यु को प्राप्त करें. हमारी सारी सरकारी व्यवस्था निष्ठा पूर्वक अपना कार्य का निर्वहन करें जहां भ्रष्टाचार का नामोनिशान ना हो।

परंतु आज के परिपेक्ष में यह सब बातें कल्पना मात्र लगती है भारत दुनिया का सबसे युवा देश होने के बाद भी हमारे यहां ना अच्छी शिक्षा है ना अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था है और ना ही प्रत्येक युवा के हाथों में रोजगार है। विश्व के सबसे युवा देश जिसके पास उर्जा से ओतप्रोत यौवन हो और उस देश के युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहा हो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है।
बेरोजगारी के फल स्वरुप आज हम प्रत्येक क्षेत्र में भ्रष्टाचार को देख सकते हैं।

भारत कभी विश्व गुरु हुआ करता था

भारत कभी विश्व गुरु हुआ करता था । भारत ने समस्त विश्व को अज्ञानता से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले कर आया। जब दुनिया नग्न अवस्था में थी तब हमने मानव समाज को बदन ढकना सिखलाया । जब मनुष्य कच्चा मांस खाया करते थे ।तब हमने हल् लेकर अन्न की खेती करना सीख लाया हमारी सभ्यता और संस्कृति विश्व के सबसे उन्नत और पुरानी सभ्यता- संस्कृति है। परंतु कौनसे कालखंड में ऐसी क्या घटना घटी की इतने उन्नत सभ्यता संस्कृति वाला देश समस्त विश्व को मार्गदर्शन करने वाला विश्व गुरु आज विकासशील देशों की श्रेणी में आ गया।

विकास शील का अर्थ है कि हमारा देश पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ है इस देश की ऐसी दुर्दशा के लिए अपराधि कौन? पुनः खोई हुई मान प्रतिष्ठा पाने के लिए क्या करना चाहिए?

देश की ऐसी दुर्दशा के लिए अपराधि कौन

आइए जानते हैं इसके कुछ कारण

हमारी मूल वैदिक शिक्षा पद्धति का नष्ट होना

हमारा मत है कि भारत के युवाओं को आज उस प्रकार की शिक्षा नहीं दी जा रही जैसी हमारी संस्कृति रही है शिक्षा का मूल अर्थ यही होता है कि हम एक स्वामी की तरह कार्य करें ना कि एक दास की तरह जीवन निर्वहन करें। परंतु हमारा दुर्भाग्य यह है कि हमारी गौरवमई इतिहास को छोड़कर विज्ञान पर आधारित गुरुकुल को नष्ट कर इस देश के युवाओं को यह पढ़ाया गया कि हम सदियों सदियों तक गुलाम रहे परंतु यह सत्य नहीं है। परतंत्रता को कभी स्वीकार नहीं किया हमने । सदैव विदेशी आक्रांताओं को कड़ी टक्कर दिए हैं ।संभवत यही कारण रहा होगा कि इन आक्रमणकारियों ने समस्त विश्व को शिक्षित करने वाले तक्षशिला विश्वविद्यालय तथा नालंदा विश्वविद्यालय जैसी हमारी बहुत सारे शैक्षणिक केंद्रों को इन विदेशी लुटेरों ने नष्ट कर दिया। उनका उद्देश्य यही रहा कि यदि भारत की उन्नति को रोकना है और यहां की एकता और अखंडता को तोड़ना है तो वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित वैदिक शिक्षा और गुरुकुल को नष्ट करना होगा।


किसी को यदि गुलाम बनाना है तो उसे शिक्षा से वंचित कर दिया जाए इस आधार पर उन्होंने ऐसा कुकृत्य किया। परंतु हमारी संस्कृति की जड़ें इतनी मजबूत रही कि हमने उनकी अधीनता को कदापि स्वीकार नहीं किया। उदाहरण स्वरूप आप यह समझ सकते हैं कि दुनिया के जितने भी देश पर विदेशी आक्रमण हुए सदियों नहीं लगी उनकी सभ्यता नष्ट होने में परंतु हमारी सभ्यता और संस्कृति आज भी जीवंत है इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। हमारी शिक्षा पद्धति कितनी उन्नत रही होगी।
यदि भारत को पुनः विश्व गुरु बनना है तो भारत के युवाओं की शिक्षा पद्धति भारतीय संस्कृति के अंतर्गत देना होगा और यह तभी संभव है जब देश का नेतृत्व में युवाओं की सहभागीता होगी।

भारतीय युवाओं (indian Youth)को राजनीतिक में सक्रिय नहीं होना

भारत के लिए यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि भारतीय युवाओं की राजनीतिक में सक्रियता न के बराबर है आज के परिपेक्ष में राजनीति इतनी गंदी हो चुकी है कि कोई भी अभिभावक अपने बच्चों के बारे में या नहीं कह सकते कि पढ़ाई पूरी कर बड़ा होकर हमारा बच्चा राजनीति करेगा यद्यपि वे अपने बच्चों को सरकारी उच्च पदों पर देखना चाहते हैं। अब आप स्वयं चिंतन करिए की यदि भारतीय युवा राजनीति में अपनी सक्रियता नहीं देगी तो युवाओं के प्रति चिंतन कौन करेगा क्योंकि आज के युवा को अपना नेता कैसा चाहिए जो उनके समक्ष खड़ा होकर अपनी बात रख सके और सामने वाला उनकी भावनाओं को समझ सके।
यदि भारत के युवा राजनीतिक में सक्रिय नहीं हुए और हमारा नेतृत्व यही भ्रष्ट नेता करते रहे तो आने वाले 30 से 40 वर्षों के उपरांत जब यह देश बूढों का देश हो जाएगा तब पुनः एक बार फिर से हमारा भारत संप्रदाय, भाषा और क्षेत्रवाद के नाम पर खंड खंड हो जाएगा ।

भारतीय युवा राजनीति (indian Youth Politics)में कैसे सक्रिय होंगे?


यह प्रश्न आपके मन में उठ रहा होगा कि युवा राजनीति (Youth Politics) में सक्रिय कैसे हो सकते हैं इसका सरल सा उदाहरण लिया है कि युवाओं को जात- पात परिवारवाद तथा रूढ़िवादी विचारधारा से ऊपर उठकर नेता का बेटा नेता होगा ऐसी सोच त्याग कर अपने बीच के योग्य युवाओं का समर्थन कर भारत के युवा को राजनीतिक में सक्रिय होने से इसका समाधान हो सकता है। भारत के युवा को राजनीतिक में नेतृत्व देकर हमारी सारी व्यवस्थाएं सही हो सकती हैं भारत के युवा ऊर्जावान हैं और अपने साथियों के प्रति उनका विचार बड़ा सकारात्मक रहता है।


अंत में मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि यदि हमारे देश की राजनीति भ्रष्टाचार मुक्त हो गई तो हमारी शिक्षा व्यवस्था स्वत: ठीक हो जाएगी और यदि देश की शिक्षा व्यवस्था सही दिशा में चल पड़ी तो स्वास्थ्य से संबंधित पदों पर सभी योग्य कर्मचारी का चयन होगा व्यक्ति का बुद्धि और स्वास्थ्य सही रहता है तो बेरोजगारी हमारे देश के युवाओं के दर पर आने का दुःसाहस नहीं करेगा।

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लेखक – जयराम पांडेय , समाजसेवी , चतरा झारखंड।

सुधीर इस हिंदी ब्लॉग के Founder हैं. वो एक Professional Blogger हैं जो इतिहास Technology, Internet ,समाचार से जुड़ी विषय में रुचि रखते है. सुधीर वेबसाइट होस्टिंग भी प्रदान करते है. वो पेसे से पत्रकार भी है, उन्हें किसी भी विषय पर रिसर्च करना अच्छा लगता है.

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