आईये जानते है GST के बारे में।
GST क्या है?
GST के दौरान एक ही बिक्री/सप्लाई पर दो करो को एकत्र किया जाता है और माल एव सेवाओ को मिलते हुए लगाया जाता है ।
यह दो तरह के कर है जो निम्न प्रकार से है।
- राज्य का GST
- केंद्र का GST
S GST को राज्य का GST कहते है और C GST को केंद्र के GST के रूप में जाना जाता है।
GST से पहले जो दो मुख्य अप्रत्यक्ष कर भारत मे लगे थे। उनमें से एक सेंट्रल एक्साइज था जो कि निर्माण की अवस्था तक लगता था और राज्यो का जो वैट था वो बिक्री की अवस्था तक लगाया जाता था लेकिन अब GST ने निर्माण और बिक्री की जगह अब सप्लाई पर कर लगेगा और ये कर माल और सेवा दोनों पर होगा।।
IGST- इंटीग्रेटेड गुड्स एव सर्विस टैक्स
यह दो राज्यो के मध्य होने वाले व्यापार पर निगरानी रखने या GST के इस प्रकार की बिक्री के लिए एक IGST मॉडल भी तैयार किया गया है। यह केंद्रीय बिक्री कर के स्थान पर लगने वाला कोई नया कर (SGST और CGST के अतिरिक्त तीसरा कर) नही है बल्कि एक ऐसा तंत्र है जिसके जरीये दो राज्यो के बीच हुए व्यापार पर नजर रखी जा सके एव यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि कर का एक हिस्सा उस राज्य को मिले जहां अंतिम उपभोगता निवास करता है और दूसरा हिस्सा केंद्र सरकार को।
प्रकिया- जैसे
- अंतर प्रांतीय व्यापार के दौरान बिक्री करने वाला डीलर अपने ख़रीददार से IGST के रूप में एक कर एकत्र कर केंद्रीय सरकार के खजाने में जमा कराएगा । इस कर की दर SGST एव CGST की दर को मिलाकर बनेगी। उदाहरण के लिये मान लीजिए कि SGST की दर 9 प्रतिशत है। एवं CGST की दर भी 9 प्रतिशत है तो IGST के रूप में जमा कराया जाने वाला कर 18 प्रतिशत की दर से केंद्र सरकार के खजाने में जमा कराया जाएगा।
- अपना IGST जमा कराते समय विक्रेता अपने द्वारा इस माल को जो कि उसने अंतरप्रांतीय बिक्रि के दौरान बेचा है और खरीद पर चुकाए गए SGST एव CGST की इनपुट क्रेडिट लेगा ।
- राज्य में इस बिक्री पर किये गए माल के संबंध में भुगतान किए गए SGST की क्रेडिट ली है उतनी राशि केंद्र सरकार के खजाने में हस्तांतरित कर देगा।
- अंतरप्रांतीय बिक्रि के दौरान खरीद करने वाला क्रेता जब भी यह माल बेचेगा तो अपनी IGST , CGST या SGST के भुगतान की जिम्मेदारी में से लेने का हक होगा। ।
- जितनी राशि की इनपुट क्रेडिट अपनी SGST चूकाते समय उपभोक्ता राज्य का वयापारी IGST में से लेगा उतनी रकम केंद्र उपभोक्ता राज्य के खाते में हस्तांतरित कर देगा इस तरह IGST की इनपुट क्रेडिट क्रेता IGST की भुगतान की जिम्मेदारी में से ले सकता है और ऐसी कोई जिम्मेदारी खरीददार की नही है तो इसका इनपुट CGST की जिम्मेदारी में से लेगा और उसके बाद भी IGST की क्रेडिट बच जाती है तो उसे SGST के तहत भी लिया जा सकता है।
इस प्रकार SGST के रूप में मिलने वाला पूरा राजस्व अंतरप्रांतीय व्यापार के दौरान भी उपभोक्ता राज्य को ही मिल जाएगा।
यही GST का सिद्धांत भी है जिसके अनुसार GST के कुल कर का एक हिस्सा केंद्र सरकार को जाएगा एव दूसरा कर राज्य को जाएगा जिस राज्य में वस्तु एव सेवा का उपभोग होता है।
GST बनाने में कौन-कौन से DOCUMENTS लगते है ।
PAN CARD
AADHAR CARD
TRADE NAME, PRODUCT & SERVICE DESCRIPTION
RENT AGREEMENT (IF OFFICE IS RENTED)
NO OBJECTION CERTIFICATE (NOC) FROM LANDLORD.
ELECTRICITY BILL
PASSPORT SIZE PHOTOGRAPH
BANK STATEMENT / CANCEL CHEQUE.
PROPERTY PAPERS (IF OWNED) WITH ELECTRICITY BILLS
PARTNERSHIP DEED.
REGISTRATION करने के बाद आपको कुल कितने रिटर्न्स भरने होंगे।
आपको प्रत्येक माह तीन रिटर्न्स भरने होंगे जो पुरी तरह से एक दूसरे से अलग होंगे लेकिन इनमें से पहले रिटर्न् से दूसरा रिटर्न् अपने आप बनेगा और तीसरा एव मासिक रिटर्न् पहले और दूसरे रिटर्न् से अपने आप बनेगा ।
सरकार के द्वारा यह रिटर्न् जो माह समाप्त होने की 10
तारीख , 15 तारीख और 20 तारीख को मासिक आधार पर भरने है केवल एक रिटर्न् बताया जा रहा है जो तकनीकी आधार पर तो बिल्कुल सही है क्योंकि बिक्री या सप्लाई के रिटर्न् जो कि 10 तारिख तक भरना है .
उनके खरीददारों के रिटर्न् के रिटर्न् में अपने आप चली जायेगी लेकिन यह एक आदर्श अस्थिति होगी जिसमें सभी विक्रेता प्रथम 10 तारीख तक अपना रिटर्न् भर देँगे और यदि ऐसा नही होता है तो ख़रीददार को अपना खरीद का रिटर्न् खुद भरना होगा या विक्रेता ने अपना रिटर्न् सही नही भरा तो भी ख़रीददार को अपना रिटर्न् अपने रिकॉर्ड के अनुसार भरना होगा इसके अतिरिक्त उन्हें अपने सभी विक्रेताओं के द्वारा भरे जाने वाले रिटर्न् से अपने रिटर्न् में आई या नही आई खरीद को चेक कर सही करना होगा और को एंटरी छूट गयी है उन्हें भी दर्ज करना होगा।
आईये पहले हम ये देखे की ये तीन रिटर्न् कोन से होंगे।
GSTR- 1
1- इसमे मासिक खरीद का विवरण देना होगा ।
2- अगले माह की 10 तारीख तक मासिक पेश करना होगा ।
GSTR-2
1- इसमे मासिक खरीद का विवरण देना होगा।
2- अगले माह की 15 तारीख तक (10 तारीख के पूर्व यह रिटर्न् नही भरा जा सकता अर्थात आपको इसे 10 से 15 तारीख के बीच भरना है ) मासिक
GSTR-3
1- इसमे मासिक कर का रिटर्न् भरना होगा
2- अगले माह की 20 तारीख तक मासिक।
GSTR-9
1- इसमे वार्षिक रिटर्न् भरना होगा।
2- यह वितीय वर्ष की समाप्ति के बाद 31 दिसंबर तक वार्षिक।
GSTR – 4
1- कम्पोजिशन डीलर्स का त्रेमासिक रिटर्न् भरना होगा।
2 – यह त्रैमास समाप्त होने के बाद वाले माह की 18 तारीख तक – त्रेमासिक।
GSTR -9 A
1- कंपोजिशन डीलर् का वार्षिक रिटर्न् भरना होगा।
2- वितीय वर्ष की समाप्ति के बाद वार्षिक 31 दिसंबर तक।
GST और इनपुट क्रेडिट का मिसमैच? Gst and Input credit Mismatch
- यदि आपके विक्रेता आपको बेचे गए माल पर कर नही चुकाते हैं या इसकी विगत अपने बिक्री के रिटर्न् में समुचित रूप से नही दिखाते है तो आपको यह मौका मिलेगा की जब यह आपके खरीद के रिटर्न् में अपने आप आये तो आप इसमें संशोधन कर सकते है लेकिन यदि यह संशोधन आपके विक्रेता द्वारा अनुमोदित नही किया जाता है तो यह एक मिसमैच होगा और इसे आपको एव आपके विक्रेता को रिटर्न् भरने की अंतिम तिथि के बाद सूचित कर दिया जाएगा और जिस माह में आपको सूचित किया जाता है उस माह में इस मिसमैच को निस्तारण नही होता है तो यह ख़रीददार के उस माह से अगले माह के कर में जोड़ दिया जाएगा और इसे आपको जमा करना होगा।
- इस तरह अब सरकार मिसमैच को लेकर लंबा इंतजार करने को तैयार नही है।
- इस तरह से जब विक्रेता अपने रिटर्न् सही करके इनपुट क्रेडिट देगा तब यह क्रेडिट फिर से आपको मिल जाएगी।
- लेकिन अब आपको माल खरीदते वक्त सतर्क रहना होगा और आपके विक्रेताओं को भी प्रेरित करना होगा कि वे समय पर कर जमा कराए और रिटर्न् सही सही भरे और इसके साथ ही आप जहां विक्रेता है वहाँ आप भी अपने रिटर्न् सही सही भरें ताकि आपके क्रेता किसी परेशानी में नही पड़े।
कैसे बनेगा GST बिल?
1- GST 1 जुलाई 2017 से लागु हो गया है और इस दौरान सबसे पहला काम जो डीलर्स को करना है वह है बिल या इनवॉइस बनाना । आईये उदहारण के लिए देखते है मानिए आप रेडीमेड कपड़े का काम करते है और आपका पहला ग्राहक आपसे 100 शर्ट खरीदता है जो प्रति शर्ट आपके बिक्री की कीमत 1100 रुपये है इस प्रकार कर की दर 12 प्रतिशत होगी जिसमें से मान ले की राज्य का GST 6 प्रतिशत है और केंद्र का GST भी 6 प्रतिशत है तो आपके बिल के आंकड़े भी इस प्रकार बनेंगे।
कुल शर्ट है – 100.00
एक शर्ट की कीमत- 1100.00
कुल कीमत – 110000.00
राज्य का GST. – 6600.00
केंद्र का GST. -. 6600.00
कुल बिल रकम जो ग्राहक से लेना है
– 123200.00
मान लीजिये
आपका GST N – 08AAAPP5715M123
ग्राहक का GST N – 08SSSPS7325M1Z3
ये सारी सूचनाएं वे है जिनके आधार पर आप अपना GST का बिल काट सकते है।
आईये देखे GST का बिल बनाते समय कौन सी – कौन सी सूचनाएं आपको बिल में भरनी है।
- सप्लाई करने वाले का नाम , पता एव GST नंबर।
- बिल का सीरियल नंबर।
- बिल जारी करने की तारीख।
- सप्लाई प्राप्त कर्ता का नाम, पता एव GST N नम्बर यदी रजिस्टर है तो।
5.यदि सप्लाई प्राप्तकर्ता अन रजिस्टर्ड है तो सप्लाई प्राप्तकर्ता का नाम , पता एव डिलीवरी का पता यदी कर योग्य सप्लाई की कीमत 50000 रुपये से आधिक है और यदि सप्लाई की कीमत 50000 से कम है तो आपका ऐसा चाहता है तो आपको यह सूचनाएं बिल/ इनवॉइस में देनी है।
S S N कोड-
- TURNOVER LESS THAN 1.5 CRORES HSN CODE IS NOT REQUIRED TO BE MENTIONED.
- TURNOVER BETWEEN 1.5 -5 CRORES CAN USE 2 DIGIT HSN CODE.
- TURNOVER ABOVE 5 CRORE MUST USE 4 DIGIT HSN CODE
- माल का विवरण।
- माल की मात्रा ।
- माल की कुल कीमत।
- कर की दर S GST और C GST कर की दर।
- कर की रकम।
- माल के सप्लाई की जगह एव राज्य यदि आपकी सप्लाई आपके राज्य से दूसरे राज्य में है।
- माल की डिलिवरी का पता यदि यह पता सप्लाई के पते से अलग है।
- क्या कर रिवर्स चार्ज के तहत चुकाया गया है।
- डिलर के दस्तखत या डिलर के डिजिटल सिग्नेचर।( बिल पर डिजिटल सिग्नेचर अनिवार्य नही है केवल दस्तखत से भी काम चल सकता है।)
- GST सुविधा केंद्र लेंने के लिए संपर्क करे।
जो व्यक्ति GST का काम करके अपना कररियर बनाना चाहते है वो हमारे साथ जुड़कर GST का काम कर सकते है। - इसमे काम को करने के लिए GST का पोर्टल दिया जाएगा।
- TRANNING भी दी जाएगी कैसे काम करना है। संपर्क करे -: बिनय कुमार
7004431965 - What is Gst In Hindi की जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट कर के जरुर बताये .
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