मिट्टी की मूरतें -हिंदी गीत
समय बहुत अनमोल है
न यों ही गंवाया करें
तुम रूठ जाया करो प्रिये
और हम मनाया करें
स्वजनों के बीच बैठकर
वो कहनी कहानियां
चतुष्पथ पर भी कभी
गल्पखग उड़ाया करें
ऊंचे पेड़ हुए तो क्या
तुम प्रेम-उद्यान के
वंचितों को फल नहीं
न तप्तों को छाया करें
समय की उलझन-सुलझन में
मिट्टी की मूरतें
तुम हंस दिया करो कभी
कभी हम हंसाया करें
भोरकाल से आज दिवस तक
अभिलाषी अधरों के अधर
नवीनकाल नवप्रेम कथा
दो चरणचिह्न खो जाया करें
दिल की धड़कनों का बसर
दिल के साथ-साथ
आंखों के आसपास ठहर
आज कुछ नया-नया करें
संपादकीय टिप्पणी :
एक सिनेगीतकार ने कहा था कि उर्दू की सहायता के बिना हिंदी फिल्मों के गीत लिखे ही नहीं जा सकते।
तब कवि गोपालदास नीरज जी ने कुछ फिल्मों में उर्दू की सहायता के बिना गीत लिखकर उस कुंठित अवधारणा को तोड़ा था।
यहां हम कुछ ऐसे ही गीत प्रस्तुत करेंगे जिनमें आपको हिंदी और केवल हिंदी ही मिलेगी।
हमारा विश्वास है कि आपकी टिप्पणी हमारा उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन करेगी।
धन्यवाद !