शिक्षा का अर्थ क्या है? what is meaning of education

शिक्षा का अर्थ meaning of education जानने की पहले ‘शिक्षा’ शब्द का निर्माण जान लेना जरुरी है. hindi meaning of education शिक्षा शब्द संस्कृत भाषा की ‘शिक्ष्’ धातु में ‘अ’ प्रत्यय जोड़ने से बना है.

‘शिक्ष्’ का अर्थ meaning of education सीखना और सिखाना होता है. इसी प्रकार ‘शिक्षा’ शब्द “सीखने-सिखाने की क्रिया” से तात्पर्य रखता है।

शिक्षा का अर्थ meaning of education

hindi meaning of education

हमें जो विद्यालय में दी जाती है सिर्फ वही शिक्षा नहीं है वह तो बस शिक्षा का संकुचित रूप है जहां पर हमें एक निश्चित लक्ष्य के लिए निश्चित पाठ्यक्रम की सहायता से तैयार किया जाता है, सही मायने में देखा जाए तो शिक्षा का अर्थ बहुत ही व्यापक है जैसा कि आप जानते हैं हमारी शिक्षा जन्म से ही शुरू हो जाती है हमारे पहले शिक्षक हमारे माता-पिता होते हैं जिनकी मदद से हम चलना , खाना, पहनना बातें करना, अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी परंपराओं को सीखते हैं। अगर आप सीखने को इच्छुक है तो प्रकृति से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं, जैसे पेड़ों से संयम बनाए रखना ,घास और मिट्टी की मजबूत पकड़ को देखकर सकते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए हमें अपने परिवार को कभी नहीं छोड़ना है ;हम नदियों की कोमल धारा से सीख सकते हैं कि लगातार परिश्रम करते रहने से बड़ी सी बड़ी मुश्किलों को हराया जा सकता है ठीक उसी तरह जिस तरह नदिया पत्थर को काटकर अपना रास्ता बना लेती है, सूर्य जिस तरह हर दिन उगकर अपने कर्तव्य को निभाता है ठीक उसी तरह हम अपना उत्तरदायित्व निभा सकते हैं, ठीक इसी तरह प्रकृति हमें हर पल बहुत कुछ सिखाती है।
हम कहानियों से बहुत कुछ सीख सकते हैं ,नाटकों से सीख सकते हो सिनेमा से सीख सकते हैं, समाचार पत्रों से सीख सकते हैं, खुद के अनुभवों से सीख सकते हैं दूसरे के अनुभवों से सीख सकते हैं अपनी गलतियों से सीख सकते हैं दूसरों की गलतियों से सीख सकते हैं ,अगर आप सीखना शुरू कर दे सिखाने वाले स्रोत की कमी नहीं है।
और हां शिक्षा का मतलब meaning of education सिर्फ किसी की बताई बातों को याद करना नहीं है शिक्षा का अर्थ अपने आपको ऐसा विकसित करना है कि आप सही और गलत में अंतर पर बता सके खुद को कुछ नया सोचने के काबिल बना सकें और अपने मन की बातों को सही तरीके से सामने प्रस्तुत कर सकें।सिर्फ किसी की बताई बातों को याद करना नहीं है शिक्षा का अर्थ अपने आपको ऐसा विकसित करना है कि आप सही और गलत में अंतर पर बता सके खुद को कुछ नया सोचने के काबिल बना सकें और अपने मन की बातों को सही तरीके से सामने प्रस्तुत कर सकें।

शिक्षा हमारे लिए क्यों जरूरी है?


हमारी जिंदगी की आधारभूत जरूरत क्या है रोटी, कपड़ा, मकान लेकिन यह चीजें तो सभी जीव पूरा कर लेते हैं हमें सभी जीवो से कुछ अलग करता है तो वह है शिक्षा। शिक्षा ही तो है जिसने हमें जानवर से मानव बनाया। शिक्षा के महत्व important of education को समझने के लिए हमें पेड़ के महत्व को समझना जरूरी है , कुछ लोगों को लगता है कि शिक्षा का मकसद सिर्फ पैसा कमाना है तो मैं आपको बता दूं यह कहना ठीक उसी तरह अनुचित होगा जिस तरह आप यह कहे कि पेड़ का महत्व हमारे जिंदगी में सिर्फ जलावन के लिए लकड़ी का इस्तेमाल करने के लिए होता है, जिस तरह एक पेड़ के बहुत फायदे हैं ठीक उसी तरह शिक्षा के बहुत सारे फायदे हैं ,जैसा कि आप जानते हैं आप आक्सीजन के बिना जीवित नहीं रह सकते मेरा मानना है कि ठीक उसी तरह एक इंसान बिना शिक्षा के जीवित नहीं रह सकता, हम भूख लगते हैं खाने की तरफ भागते हैं यह क्या है ये शिक्षा ही तो है जो हमें जन्मजात मिली है ।ठंड लगते हैं स्वेटर बनाना सीख लिया ,हमने गर्मी लगते ही पंखे का आविष्कार किया, पंछियों को देखकर हमने हवाई जहाज बनाया ,तो मछलियों को देखकर हमने पानी जहाज बना डाला अब आप ही बताएं क्या बिना शिक्षा कि हम जीवित रह सकते हैं?
नहीं ना.

शिक्षा के महत्व important of education


चलिए अब हम शिक्षा के अनेक महत्व को संक्षेप में जानते हैं
पहला शिक्षा में आत्मविश्वास देती है दूसरा शिक्षा हमें सही गलत का आभास कराती है ,शिक्षा हमें अंधविश्वासी और अंधभक्त बनने से बचाती हैं, तीसरा शिक्षा में सवाल करना सिखाती है, चौथा हमारे लिए समानता का अवसर उत्पन्न करातीे हैं, पांचवा शिक्षा हमें कठिनाइयों से लड़ना सिखाती हैं , छठा शिक्षा हमें खुश रहना सिखाती है , सातवा शिक्षा हमें एक अच्छा निर्णय लेने वाला बनाती है , नावां शिक्षा हमें नए रोजगार के अवसर उत्पन्न करना सिखाती है दसवां शिक्षा हमारे और हमारे देश के विकास में मदद करती हैं ।

अगर मैं एक पंक्ति में कहना चाहूं तो शिक्षा हमें एक अच्छा जीवन जीना सिखाती है। अत: शिक्षा सभी के लिए जरूरी है.

आधुनिक युग में बच्चों को कैसी शिक्षा देनी चाहिए?

आप जानते हैं परिवर्तन संसार का नियम है और अगर आप इस
संसार में संतुलित जीवन जीना चाहते हैं तो आपको इस नियम का पालन करना होगा ।
आज अगर आपको चतरा से दिल्ली जाने को कहा जाए तो क्या आप बैलगाड़ी से जाना पसंद करेंगे या फिर हवाई जहाज का प्रयोग करेंगे? आप निश्चित ही हवाई जहाज से जाना चाहेंगे,
तो फिर आप खुद सोचे कि इस नई दुनिया में आप अपने बच्चों को वही पुरानी घीसीपीटी शिक्षा को क्यों लाद रहे हैं आपको नहीं लगता शिक्षा में भी बदलाव करना चाहिए, मैं यह नहीं कहता की आप पुरानी सभी चीजों को छोड़ दें लेकिन इस 21वीं सदी सदी में जहां आज दुनिया कितनी आगे पहुंच गई है आपको भी अपने बच्चों को दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सिखाना चाहिए और इसके लिए हमें शिक्षा में बहुत से बदलाव करने की जरूरत है।
अब सवाल यह आता है कि आखिर बच्चों को सिखाएं तो क्या सिखाएं तो फिर चलो इस विषय पर बात करते हैं मेरा मानना है की बच्चे 13 साल तक कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिसे आप जैसा आकृति चाहो वैसा दे सकते हो । जिस तरह कच्ची मिट्टी से बने बर्तन की सुंदरता उसके कुंभकार पर निर्भर करता है उसी प्रकार 13 साल तक बच्चे की गुणवत्ता बच्चे के मां बाप और उसके शिक्षक पर निर्भर करता ह
सबसे पहला काम बच्चे को कम से कम एक भाषा में परिपक्व को बनाइए । मैं आज कल देखता हूं कि बच्चे को कोई भी भाषा अच्छे से नहीं आती है,ना ही वह अच्छी हिंदी लिख पाते हैं और ना ही उनकी अंग्रेजी अच्छी है तो सबसे पहला काम हमारा है कि बच्चे को कम से कम किसी एक भाषा में परिपक्व बनाना।
हमें दूसरे नंबर पर जो शिक्षा देनी चाहिए वह है प्रैक्टिकल नॉलेज मतलब व्यावहारिक शिक्षा । आज अगर china-japan आगे है उसमें सबसे बड़ा रोल है है वहां की व्यवहारिक शिक्षा ,भारत के बच्चे सिर्फ किताबों में चीजों को पढ़ते हैं और परीक्षा में अच्छे मार्क्स लाकर वे और उनके माता-पिता खुश हो जाते हैं लेकिन आप मुझे बताइए क्या बच्चे के सिर्फ मार्क्स जीवन में काम आते हैं नहीं ना आपने भी देखा होगा कई इंजीनियर 4 साल ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग (automobile) करने के बावजूद एक बाइक की मरम्मत नहीं कर पाते वही एक अनपढ़ मैकेनिक चुटकियों में बाइक की मरम्मत कर देता है। तो बच्चों को कोई skill(कौशल) दीजिए जैसे मोबाइल बनाना , कंप्यूटर बनाना , कहानियां लिखना ,कविताएं लिखना, क्रिकेट खेलना ,सिंगिंग, पेंटिंग, डांसिंग ,खेती करना ही सिखा दीजिए लेकिन बच्चे को कोई ना कोई skill जरूर दीजिए ।आप दुनिया के टॉप टेन रिचेस्ट पर्सन अमीर लोगों की सूची बनाइए देखिए उन्हें क्या कॉमन है बिल गेट्स को ही देख लीजिए उसने अपनी ग्रेजुएशन कंप्लीट नहीं की लेकिन वह माइक्रोसॉफ्ट कंपनी का मालिक है ,मार्क जुकरबर्ग को भी देख लीजिए फेसबुक कंपनी का मालिक उसने भी अपनी ग्रेजुएशन कंप्लीट नहीं की है लेकिन वह करोड़ का मालिक है, elonmusk को ही देख लीजिए सिर्फ किताबे पढ़कर इतनी बड़ी टेस्ला कंपनी खड़ी की है ,अब भारत में ही देख लीजिए सचिन तेंदुलकर 10th फेल लेकिन क्रिकेट का भगवान है, धीरूभाई अंबानी ग्रेजुएशन नहीं की लेकिन उसका बेटा इंडिया का सबसे अमीर इंसान है ,हमारे प्रधानमंत्री जी को ही देख लीजिए जो कभी चाय बेचा करते थे , मैं यह बिल्कुल नहीं कहना चाहता कि बच्चे को पढ़ाना बंद कर दे मैं बस यही कहना चाहता हूं कि इन लोगों को गौर से देखें जब गौर से इन सब लोगों में को देखेंगे तो पाएंगे इनके अंदर कोई ना कोई स्किल जरूर है और जिंदगी में skill काम आते हैं डिग्रियां नहीं।

बच्चों को selfdefence (आत्मरक्षा )सिखाना

हमारा तीसरा काम है बच्चों को selfdefence (आत्मरक्षा )सिखाना ,आत्मरक्षा के साथ-साथ उसे मानवतावाद भी सिखाइए मतलब एक दूसरे का मदद करना ।हम करते क्या हैं बच्चे को एक दूसरे से सिर्फ प्रतिस्पर्धा (competition)करना सिखाते हैं और इसी का नतीजा यह निकलता है कि भाई-भाई अलग हो जाते हैं ,बच्चे एक दूसरे से लड़ने लगते हैं । आप खुद सोचिए एक इंसान इंसान के काम ना आए इंसान होने का क्या फायदा।
बच्चों को तीसरी शिक्षा जो देनी चाहिए वह पर्यावरण की रक्षा करना और उसका संतुलन बनाए रखें रखना जैसा कि आप आज देख पा रहे हैं ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है जिससे जलवायु पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है , ग्लेशियर पिघल रहे ,ओजोन परत नष्ट हो रहा है जिससे कई रोग हो रहे हैं। हमें जो पानी ,ऑक्सीजन मुफ्त में मिले थे आज उसके लिए कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, लिए अगर हम चाहते हैं हमारे आने वाली पीढ़ियां अच्छी जिंदगी जिए तो उसके लिए जरूरी है हमें आने वाले बच्चों को पर्यावरण को संतुलित रखना सिखाना होगा।

जैसे ही बच्चे 13 साल के हो जाये है उनके मित्र हो जाइए ,कयूंकि 13-19 की उम्र में जिसके अच्छे मित्र होते है है,उनकी जिंदगी भी अच्छी होती है,जैसा कि आप जानते है इस समय हमारे शरीर मे कई रासायनिक परिवर्तन होते है जिसका कारण कई बच्चे गलत राह में चले जाते है इसीलिए पांचवी शिक्षा एक दोस्त की तरह होनी चाहिए
उन्हें सेक्स एडुकेशन दीजिये
गलत चीजों से बचना सिखाइये जैसे कि आजकल कम उम्र के बच्चे धूम्रपान,ड्रग्स और भी कई तरह की नशा कर रहे हैं आप बच्चों को मना नहीं कर सकते क्योंकि आप मना करेंगे तो वह छुपप कर करेंगे इसलिए जरूरी है उन्हें यह सिखाना इसके दुष्परिणाम क्या होते हैं और आखिर जो लोग इसे करते हैं वह क्यों करते हैं कैसे इसकी आदतें लोगों को लग जाती है फिर वह चाह कर भी नहीं छोड़ पाते है, योग करना सिखाइये, ध्यान लगाना सिखाइये, अच्छी किताबे पढ़ना सिखाइये, उन्हें सिखाइये की वे अपनी गलत इच्छाओं को कैसे रोक सकें।
अगर एक पंक्ति में कहना चाहुँ तो कैसे swami vivekanand,apj abdul kalam की तरह बना जा सकेे यह अपने बच्चों को सिखाइये।

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धन्यवाद।
लेखक-अभिराज।
जयहिंद।

सुधीर इस हिंदी ब्लॉग के Founder हैं. वो एक Professional Blogger हैं जो इतिहास Technology, Internet ,समाचार से जुड़ी विषय में रुचि रखते है. सुधीर वेबसाइट होस्टिंग भी प्रदान करते है. वो पेसे से पत्रकार भी है, उन्हें किसी भी विषय पर रिसर्च करना अच्छा लगता है.

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